Top Shodashi Secrets

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कस्तूरीपङ्कभास्वद्गलचलदमलस्थूलमुक्तावलीका

The anchor on the appropriate hand shows that the individual is worried with his Convalescence. If built the Sadhana, gets the self confidence and all the hindrances and road blocks are eradicated and every one of the ailments are eradicated the symbol that's Bow and arrow in her hand.

आर्त-त्राण-परायणैररि-कुल-प्रध्वंसिभिः संवृतं

Darshans and Jagratas are pivotal in fostering a sense of Neighborhood and spiritual solidarity among devotees. Throughout these occasions, the collective Electrical power and devotion are palpable, as members engage in several kinds of worship and celebration.

Shodashi’s energy fosters empathy and kindness, reminding devotees to tactic others with understanding and compassion. This profit encourages harmonious associations, supporting a loving method of interactions and fostering unity in spouse and children, friendships, and Group.

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥२॥

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

On the sixteen petals lotus, Sodhashi, who's the form of mother is sitting down with folded legs (Padmasana) gets rid of many of the sins. And fulfils each of the needs with her sixteen types of arts.

The Devi Mahatmyam, a sacred textual content, information her valiant fights in the number of mythological narratives. These battles are allegorical, more info representing the spiritual ascent from ignorance to enlightenment, Using the Goddess serving as being the embodiment of supreme awareness and ability.

॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥

यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।

वन्दे तामष्टवर्गोत्थमहासिद्ध्यादिकेश्वरीम् ॥११॥

श्रीमद्-सद्-गुरु-पूज्य-पाद-करुणा-संवेद्य-तत्त्वात्मकं

As one of several 10 Mahavidyas, her story weaves through the tapestry of Hindu mythology, supplying a loaded narrative that symbolizes the triumph of fine around evil as well as spiritual journey from ignorance to enlightenment.

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